इस महाविद्यालय की स्थापना स्थानीय नागरिको के लम्बे प्रयास के परिणाम-स्वरुप सन १९८४-८५ में तात्कालिक उच्च शिक्षा मंत्री श्री भंवर सिंह पोर्ते के द्वारा की गई थी। प्रारम्भ में सीमित संसाधनों से नगर पालिका से लगे नेहरू बाल सदन के छोटे से भवन व नगर पालिका के सामुदायिक हाल में महाविद्यालय का प्रारम्भ हुआ. जन सहयोग से फर्नीचर पंखे एवं अन्य आवश्यक संसाधन जुटा कर कला एवं वाणिज्य संकाय के प्रथम वर्ष की कक्षाएँ शुरू की गईं, बाद में आवश्यकता पड़ने पर नगर पालिका के द्वारा दो अतिरिक्त कमरे महाविद्यालय को प्रदान किये गए , जिसमें बी. ए. एवं बी. कॉम अंतिम की कक्षाये प्रारम्भ हो सकी। सात वर्षो के बाद १७ सितम्बर सत्र १९९१ को तात्कालिक मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा ने २६.५ एकड़ भू-खंड के साथ महाविद्यालय को स्वयं के भवन की सौगात दी। भवन मिल जाने से छात्र / छात्राओ को उच्च शिक्षा के लिए अनुकूल वातावरण मिला, समय के साथ-साथ महाविद्यालय में नियमित प्रवेशित छात्र / छात्राओ की संख्या लगातार बढ़ती गई उल्लेखनीय है कि अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी तहसील होने का गौरव प्राप्त करने वाले, आज के जिला मुख्यालय सूरजपुर स्थित इस महाविद्यालय को शासन के द्वारा जिले के अग्रणी महाविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है। यह महाविद्यालय प्रारम्भ में गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से सम्बद्ध रहा है। महाविद्यालय का भवन सूरजपुर के गुरूघासीदास वार्ड में स्थित है । यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा २(f) एवं १२ (b) के अंतर्गत पंजीकृत है। महाविद्यालय का संशोधित नामकरण पूर्व विधायक पं. रेवती रमन मिश्र के नाम पर रखा गया है। वर्ष 2016 में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (NAAC) द्वारा इसे प्रथम साइकल में ''B'' ग्रेड प्रदान किया गया। वर्ष 2023 में राष्ट्रीय मूल्यांकन प्रत्यायन परिषद् ( NAAC) द्वारा इसे द्वितीय साइकल में "B+" प्लस ग्रेड प्रदान किया गया है।
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